जब तुम हँसती हो!!
तब हँसते हैं यह चाँद सितारे,
और चमकती है रातें,
भौंरे गुनगुनाते हैं,
मोर नाँचते हैं, झूमते हैं,
जैसे मिट्टी बस हो जाना चाहती है सौंदी सौंदी,
चाहती हैं नदियाँ बहना
मटकते हुए, लहलहाते हुए,
बारिश खुद रिमझिम हो जाना चाहती है
पहले सावन की तरह,
बादल गरजना चाहतें हैं, बरसना चाहते हैं
बच्चों के अरमानों की तरह,
चिड़ियाँ दूर आसमान में
पँख फैलाकर
आँखें मूंदकर
स्वप्नों में खो जाना चाहतीं हैं,
हवा सरसराती है
तुम्हें गुदगुदाने के लिए,
फूल महकते हैं
बस महकने के लिए नहीं
बल्कि
तुम्हे और..
और रिझाने के लिए,
सच कहूँ तो
जैसे सारी सृष्टि ही तब
ठान लेती हो
इस लम्हे पर रुक जाने के लिए........
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