Saturday, 25 January 2014

सफ़र

सफ़र इस जिंदगी के में
किसी को साथ लाकर देख
वक्त के चार पहियों में
जरा तू ब्रेक लगाकर देख।

अकेला जाता जा रहा है
सफलता गता गा रहा है
सुगन्धित पवन अपनपन की
चल रही यहाँ उतारकर देख।।

दे रहा है दिल को तू जख्म
भुलाकर प्यार पूर्ण सब रस्म
प्यार का हक़ पाने रुक जा
प्रेम धुन मन: सुनाकर देख।

कामना कर ले तू जीवंत
छुपाना उनको कर दे बंद
मिलेगा जो चाहा है 'सम'
ठहर इज़हार तो करके देख।।
               -समकित जैन

Thursday, 2 January 2014

चलो मुकद्दर फिर आजमाने

क्या बताएँ तुम्हें,
क्या है हमारे मन में,
घुटन सी होती है अब,
दुनिया की इस चहल-पहल में।
सुनना नहीं चाहता दिल,
फिर अब दिल की बात,
रोक देना चाहता है,
शुरू हुई सारीं शुरूआत।
चिङियों की चहचहाअट भी अब
खटकने लगी है,
ख्यालों की नदियाँ भी अब
सिमटने लगीं है।
जैसे दिल पर कोई पहाङ सा है,
चल रहीं हैं साँसें पर जैसे,
बस अब कोई करार सा है।
थक कर हार चुके हैं,
इसे समझा-समझा कर,
वक्त खोता है,
तू क्यों रो-रो कर।
फिर से अपने स्वप्न जगा ले,
उठ सारीं चुनौतियाँ फिर अपना ले।
क्या होगा अफसोस जताकर,
ख्वाबों की प्यारी दुनिया सिमटाकर।
कितनी कठनाईयों को
हँसकर ही सहते आये हो,
गहन मुश्किलों में भी
आगे ही कदम बढाये हो।
भुला दे सारे दु:ख दर्द पुराने,
कर ले जीवंत वो दिल के तराने।
तो फिर अब सोचना क्या है 'सम',
चलो चलते हैं मुकद्दर फिर आजमाने।।।।।

                                            

Wednesday, 1 January 2014

सुर्खियाँ बना डालो कि हम युवा अब एक हैं।

एकता अखण्डता के बीच इस दीवार को,
पाट के सपाट कर दुश्मन को ये जबाब दो,
कि उठ गया है नवयुवक, पहचानने आँखें मलो,
आ रहा है 'आप' का युग,
और जा रहा है आपका युग, बोरियाँ अब बाँध लो।
और इस क्षितिज से उस फलक तक एक ही नारा कहो,
देशद्रोही कुटुम्ब से निपटने हम अनेक हैं.......
सुर्खियाँ बना डालो कि हम युवा अब एक हैं।

ठान लो इस अन्जुमन में हम सभी मिलकर चलें,
हो जिगर में जान इतनी, देश पर हम मर मिटें।
बाँध कर सर पर कफन  युग क्रांति की शुरुआत हो,
गर्जना ऐसी करो फिर भेढिये थर थर कपें।
चतावनी! अब लो सटक, बिस्तर सभी समेट लें.....

सुर्खियाँ बना डालो कि हम युवा अब एक हैं।।।।।