क्या बताएँ तुम्हें,
क्या है हमारे मन में,
घुटन सी होती है अब,
दुनिया की इस चहल-पहल में।
सुनना नहीं चाहता दिल,
फिर अब दिल की बात,
रोक देना चाहता है,
शुरू हुई सारीं शुरूआत।
चिङियों की चहचहाअट भी अब
खटकने लगी है,
ख्यालों की नदियाँ भी अब
सिमटने लगीं है।
जैसे दिल पर कोई पहाङ सा है,
चल रहीं हैं साँसें पर जैसे,
बस अब कोई करार सा है।
थक कर हार चुके हैं,
इसे समझा-समझा कर,
वक्त खोता है,
तू क्यों रो-रो कर।
फिर से अपने स्वप्न जगा ले,
उठ सारीं चुनौतियाँ फिर अपना ले।
क्या होगा अफसोस जताकर,
ख्वाबों की प्यारी दुनिया सिमटाकर।
कितनी कठनाईयों को
हँसकर ही सहते आये हो,
गहन मुश्किलों में भी
आगे ही कदम बढाये हो।
भुला दे सारे दु:ख दर्द पुराने,
कर ले जीवंत वो दिल के तराने।
तो फिर अब सोचना क्या है 'सम',
चलो चलते हैं मुकद्दर फिर आजमाने।।।।।
Nice..one
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