Thursday, 26 December 2013

किस्से कहें

किस्से कहें
छुपाये बैठा हूँ जो दर्द,
छुपाये कब तक रहें,
बता सारथी किस्से कहें..?

छलछला उठा है सागर का जल,
उत्तेजित होता है पल-पल,
सांत्वना लहरें भी अब चाहें.
बता सारथी किस्से कहें?

प्रज्ज्वलित हो अब अनल प्रचंड,
धकधका रहा है अनंत भूखंड,
अब तो बस मधुर एकांत की लालसा करें,
बता सारथी किस्से कहें?

ह्रदय पर रखे दरारे पाँव,
दवायें पल-पल उभरे घाव,
वज्र 'सम' विकट मृत्यू से लड़ें
बता सारथी किस्से कहें?

No comments:

Post a Comment