Sunday, 22 February 2015

किरण

अँधेरा आगे घना है,
चाहत बस
एक किरण की,
बस एक छोटी सी किरण,
थाम लूँगा उसे
अपनी बाज़ू में दबा लूँगा।
फिर आँखें बंद,
ये अँधेरा ही
अंधिया जायेगा,
फिर
ओझल
सब ओझल।
कर लूँगा सारे स्तर पार,
होंगे फिर हम मंजिल पर साथ,
बस मैं, मेरे डग और मेरी किरण।।।।

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